Feelings of a newly wedded girl who lost her husband in Pulwama Attack
Feelings of a newly wedded girl who lost her husband in Pulwama Attack
शादी को कुछ दिन ही तो हुए थे,
पर मेरे 'वो' देश के जवान जो थे,
बोले एक महीने में आता हूँ,
धरती माँ को जरूरत है, उसकी सेवा को जाता हूँ।
दूर जाने का दिल तो नहीं था बिल्कुल भी,
पर एक जवान की बीवी होने का कुछ तो फ़र्ज़ था मेरा भी।
ये सोचकर बड़े प्यार से बैग लगाया,
अपने हाथो से लडूं बना डब्बा भी थमाया।
फिर क्या रोज़ एक उनके फ़ोन का इंतेज़ार थी करती,
शाम में उन्हें क्या क्या बताउंगी इसकी तैयारी सुबह से ही थी करती।
उस दिन भी तो बहुत कुछ था बताने को,
वैलेंटाइन डे था और माँ भी बनने वाली थी मैं,
सुबह से एक घंटी की इंतेज़ार में थी ये खुशखबरी सुनने को,
आज दोपहर में ही घंटी आयी,
मैं खुश थी की चलो आज इनको मेरी याद जल्दी आयी।
फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ कोई और था,
"मेजर शाहिद हुए" ऐसा कुछ सुनाई दिया।
अभी तक तो मेरी मेहंदी का रंग भी नही था गया,
और मेरा सिंदूर ही मिट गया।
काश उनसे एक बार बस एक बार बात हो पाती,
उनका अंश इस दुनिया में आने वाला है ये बात तो उन्हें बता पाती,
आज तो प्यार बाटनें का दिन था ना,
आतंक बाटनें में उन दरिंदो का दिल एक बार भी नही पिघला।
क्या बिगड़ा था मेरे उन्होंने उनका,
देश की सेवा ही तो बस सपना था उनका।
मुझे पिस्तौल दो क्या बीती मुझ पर उन्हें बताती हुँ,
रानी लक्ष्मी बाई बन एक एक को चीर के आती हूँ।
उनके पिता की कोई इस कदर हत्या करे तो कैसा लगेगा उन्हें समझती हूँ,
तुम इंसान की कदर ना कर पाए तो जमीन के टुकड़े की क्या करोगे ये पूंछ के आती हूँ।
दुख जरूर है पर गर्व है मुझे अपने सुहाग पर,
और वादा है धरती माँ से मेरा, अपने बेटे को फौज मैं भेजूँगी बड़ा कर।
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