पापा आपसे कुछ कहना चाहती हुँ

पापा आपसे बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
वो सब जो कभी नही कहा
वो जो कहना चाहती थी
पर कभी कह नही पायी

पापा आप सब कैसे करते थे,
कैसे अपना आराम खोकर
हमारा पेट भरते थे
हम हर रोज़ नई फरमाइशें करते थे
और आप बिना कुछ बोले सब पूरी करते थे
हमारी वो एक छींक आपको कितना डरा जाती थी
खुद को महीने से खाँसी हो फिर भी अस्पताल ना जाते थे
और हमारे लिए कैसे डॉक्टर को घर पे बुला लाते थे
वो हमारी आवज़ में आपको ज़रा सी खराश नज़र आती थी
तो गूगल कर के हज़ारो नुस्खों की लाइन लग जाती थी
हमपे यूँ जान वारते थे
वो पकड़म पकड़ाई के उस खेल में जान के हारते थे
पापा आप सब कैसे करते थे

किस कदर हमारी कितनी चिंता करते थे
जब अकेले सफर करती थी तो किस तरह हर घँटे कॉल करते थे
"कौनसी बस में बैठी
कुछ खाया की नहीँ
कैब वाले की गाड़ी का नंबर भेज
पहुँच के कॉल करना, चल मैं ही कर लूँगा"
आप हमसे कितना प्यार करते थे
पापा आप सब कैसे करते थे

मुझे पता है, जब मेरे इस धरती पर कदम पड़े थे
लोगो ने आपको कई ताने भी जेड थे
एक और को कैसे संभालोगे
ये शब्द ना जाने आपने कितनी बार सुने थे
पर आपने भी उनके लिए क्या खूब जवाब बुने थे
ये मेरी बेटियाँ मेरे गर्व को भड़ायेंगी
आगे चल कर बहुत नाम कमाएंगी
मेरे बुढापे का सहारा बनेंगी
मेरी बेटियाँ बेटो सा काम करेंगी

ये सारे शब्द आज बहुत याद आते है
दिमाग में बार बार दोहराते है

मिलूँ आपसे तो पूछुंगी
क्या अब आपको हमारी चिंता नहीं सताती
क्या आपको हमारी याद नहीँ आती
इतनी जल्दी क्यों अकेला छोर गए
पाल पोस कर इतना बड़ा किया
और जब हमारी बारी आयी तो
क्यों इस कदर मुँह मोड़ गए
अब आपकी बेटियाँ किसको गर्व महसूस करायेंगी
किसके लिए नाम कमाएंगी

मिलूँगी तो आपसे सब पूछुंगी
आपको कस के पकड़ लूँगी
कितना भी बोलोगे नहीं छोडूँगी
कितना भी बोलो नहीं सुनूँगी
सिर्फ अपनी सुनाऊँगी
जो आज तक नहीँ कहा वो सब कह जाऊँगी।

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