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गोरा - काला (एक सोच जिसको हम सबको बदलने की जरूरत है)

Believe it or not, out society is so badly trapped in this Fair and Lovely spectrum. From the birth, applying "मलाई" to make the child "गोरा" to using different creams in teenage just to look white to finding "गोरा" bride/groom for marriage... And god knows when, the definition of "Beautiful" changed to "Being White".. A poem dedicated to.. #AllAREBeautiful "मॉम , में बता रही हूँ , मुझे तो गोरे लड़के से ही शादी करनी है.." "ओर माँ, मेरी तो सरकारी नौकरी है, मुझे तो, चीटियाँ कलाईयाँ वाली ही चाहिए" ये बोलने वालो को मैंने "Black Lives Matter" का स्टेटस डालते देखा है, दोगलेपन की हर हद को नापते देखा है, शरीर के रंग से इंसान के दिल को भाँपते देखा है, कोई इन लोगो से पूछे एक बार- इंसान बाहर से कैसा दिखता है, क्या ये उसके बस में है कहीं, फिर वो बाहरी शरीर को देख कर तुम कैसे बता सकते हो की वो है गलत या है सही... हाँ अंदर से वो दिल का कैसा है, उसपर उसका बस है जरूर, पर यूँ गोरा- काला देख कर अच्छे बुरे का तमगा पकड़ाने वा

नौकरी (Every working WOMEN story)

"यार शादी के बाद ना तुमको नौकरी छोड़नी होगी" यूँ कहते सुना है मैंने उन कुछ 'पढ़े लिखे गंवारों " को, मुझे पूछना है उनसे एक बार, क्या जितनी मेहनत तुमने की है इधर आने में, उतनी शिद्दत उस लड़की ने नही की खुद को इस मंज़िल तक लाने में ? एक सच बताऊँ, की है, ओर वो भी तुमसे कहीं गुना ज्यादा, क्योंकि रास्ते में, तुम जैसे ना जाने कितने लोगो से , रोज़ लड़ी है वो, पर तुम क्या समझोगे, क्या कहते हो वो तुम "कुछ साल कर तो ली, निकल गया ना शौक, और वैसे भी में कमा तो में लेता ही हूँ इतना, फिर क्या जरूरत है" कभी समझ नहीं पाओगे तुम, की क्या है उसके लिये ये नौकरी, चलो आज में कोशिश करती हूँ बताने की, की कोई "शौक" नही है ये नौकरी, जो लड़ी लड़ाई आज तक, उसका तोहफ़ा है ये नौकरी, उसकी आत्म निर्भरता की डोर है ये नौकरी, बचपन से जो देखा वो हसीन ख्वाब है ये नौकरी, कुछ पैसो की बात नही है, हीरो के हार से कहीं ज्यादा कीमती है ये नौकरी, और अगर यही बात वो लड़की बोले तुमसे तो, क्या छोड़ दोगे तुम अपनी नौकरी जवाब तो तुम्हे भी पता है और मुझे भी, पर छोड़ो जाने देते है, वो सही ही कहा है किसी ने, अनपढ़ स

एक नई शुरुआत

ऐ जिंदगी चल एक बार फिर कोशिश करते है, आज तेरी एक नई शुरुआत करते है, माना वो तूफान भुलाना आसान नही, जो एक पल में सारी हरियाली ले उड़ा, पर उन गिरे पत्तों को देख, आस लगाना भी समझदारी नहीं, आज तक कौनसा टूटा पत्ता फिर से वापस आ जुड़ा, इसलिए ऐ जिंदगी चल एक बार फिर कोशिश करते है, आज तेरी एक नई शुरुआत करते है, वो पानी के बुलबुले भी तो , यूँ टूट कर फिर बन जाते है, जब तक झरना बहता है , टूटते बनते जाते हैं, उनको देख, ऐ जिंदगी चल एक बार फिर कोशिश करते है, आज तेरी एक नई शुरुआत करते है, माना आसान नहीं होगा, तेरे लिए सब कुछ भुला पाना, वो यादों की संदूक को जबरदस्ती बंद कर पाना, पर पतझड़ के बाद, बहार आएगी जरूर, एक बार हरियाली फिर छाएगी जरूर  इसी उम्मीद में, ऐ जिंदगी चल एक बार फिर कोशिश करते है, आज तेरी एक नई शुरुआत करते है...

सीता माँ - अद्भुत चरित्र

वो महलों में रहने वाली, क्या क्या दुख नहीं उठाती है, विवाह के तुरंत बाद श्री राम संग वन में कष्ट भोगने निकल जाती है, वो अर्धांगिनी होने का हर कर्तव्य कितनी शिद्दत से निभाती है, वो महलों में रहने वाली, क्या क्या दुख नहीं उठाती है, लंका में एक पेड़ के नीचे, कड़ी धूप,  बारिश, तूफान सब सह जाती है, वो राक्षसीयों की हुँकार से भी ना घबराती है, वो महलों में रहने वाली, क्या क्या दुख नहीं उठाती है, रावण की दौलत, शौहरत सब पल में ठुकराती है, एक घास के तिनके से, उस पापी का अहंकार मिट्टी में मिलती है, वो महलों में रहने वाली, क्या क्या दुख नहीं उठाती है, अपने श्री राम के इंतेज़ार में, वो एक एक पल कितनी व्याकुलता से बिताती है, धन, वैभव, आराम से भड़कर धर्म, कर्त्तव्य और चरित्रता की राह बतलाती है, हर युग को पतिव्रता शब्द की परिभाषा सिखाती है, नारी चरित्र का कितना सुंदर उदहारण दिखाती है, वो महलों में रहने वाली, क्या क्या दुख नहीं उठाती है...

चलो आज 15 साल पहले चलते  है

चलो आज 15 साल पहले चलते  है, वो छोटी सी मासूम बच्ची से मिलते है , जिसको सारी दुनिया सच्ची लगती थी, सारी दुनिया अच्छी लगती थी, सड़क पर टेड़े मेडे साँप जैसे चलती थी, किसी के तानो भरी बातों से भी कहाँ डरती थी, बेसुरी आवाज़ के साथ भी भरी महफिल में गाने की हिम्मत रखती थी, वो बच्ची किसी अंजान से बात करने की भी जुर्रत रखती थी, चोट लगने पर आँसू की नदियाँ बहा देती थी, और फिर गुब्बारों को उड़ता देख यूँ खिलखिला के हँस दिया करती थी, पापा का सर पे हाथ रखना, माँ का दुलार उसके लिए सबसे कीमती था, दीदी की लाड़ली बहन होना ही एक बहुत बड़ी उपाधि था, उड़ती चिड़ियो को देख हवा में उड़ना चाहती थी, शक्तिमान जैसे बुराई से लड़ना चाहती थी, हर छल कपट से दूर, हर किसी के लिए प्यार से भरपूर, उस छोटी सी मासूम बच्ची से मिलते है, चलो आज 15 साल पहले चलते है..

पापा आपसे कुछ कहना चाहती हुँ

पापा आपसे बहुत कुछ कहना चाहती हूँ वो सब जो कभी नही कहा वो जो कहना चाहती थी पर कभी कह नही पायी पापा आप सब कैसे करते थे, कैसे अपना आराम खोकर हमारा पेट भरते थे हम हर रोज़ नई फरमाइशें करते थे और आप बिना कुछ बोले सब पूरी करते थे हमारी वो एक छींक आपको कितना डरा जाती थी खुद को महीने से खाँसी हो फिर भी अस्पताल ना जाते थे और हमारे लिए कैसे डॉक्टर को घर पे बुला लाते थे वो हमारी आवज़ में आपको ज़रा सी खराश नज़र आती थी तो गूगल कर के हज़ारो नुस्खों की लाइन लग जाती थी हमपे यूँ जान वारते थे वो पकड़म पकड़ाई के उस खेल में जान के हारते थे पापा आप सब कैसे करते थे किस कदर हमारी कितनी चिंता करते थे जब अकेले सफर करती थी तो किस तरह हर घँटे कॉल करते थे "कौनसी बस में बैठी कुछ खाया की नहीँ कैब वाले की गाड़ी का नंबर भेज पहुँच के कॉल करना, चल मैं ही कर लूँगा" आप हमसे कितना प्यार करते थे पापा आप सब कैसे करते थे मुझे पता है, जब मेरे इस धरती पर कदम पड़े थे लोगो ने आपको कई ताने भी जेड थे एक और को कैसे संभालोगे ये शब्द ना जाने आपने कितनी बार सुने थे पर आपने भी उनके लिए क्या खूब जवाब बुने

But why, oh why, did you have to go? (For my Papa)

We miss your face; you were taken too soon. Your beaming smile that lit up the room, Those cheeky dimples and twinkle in your eye. We keep asking ourselves why, oh why? why, did you have to go? We miss your cuddles and loving pat on our head, Those lessons which taught us, how difficult to earn bread. The way you gave us strength when we were feeling weak. In every difficult situation, your suggestions only we used to seek We miss how you cared and protected us so. But why, oh why, did you have to go? We miss your voice and how you used to scold, While crossing the road, our hands , how tightly you used to hold. How hard day and night you used to work, to get us a good education, and then a place where we could proudly work. We miss how you stood for us when we felt low, But why, oh why, did you have to go? You always listen to what your daughters say, then why are you doing this today. without you how we will live God, Is this the result of our prayer? How you c